पूर्व विधायक मैहर नारायण त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह के बयान को चिंताजनक बताते हुए कहा कि सबकुछ जानते हुए सरकार के जिम्मेवार मंत्री बेबस और लाचार क्यो है यह बात समझ से परे है किसी भी देश प्रदेश के विकास में शिक्षा का अहम योगदान होता है वही शिक्षा आज प्रदेश सरकार की चौखट में बेबस और लाचार खड़ी है। इससे बड़ा दुर्भाग्य प्रदेश के लिए कुछ और नही हो सकता। श्री त्रिपाठी ने कहा कि सरकार के जिम्मेवार मंत्री के इस बेबस बयान पर मेरा हमारे उच्च न्यायालय से आग्रह है कि स्वमेव संज्ञान लेकर कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए। श्री त्रिपाठी ने कहा कि अपराध करने वाला जितना बड़ा गुनहगार है उससे ज्यादा उसे जानबूझकर सहने वाला गुनहगार है और ये तो मामला हमारे प्रदेश के बच्चों से जुड़ा है जहां उनके साथ छल हो रहा है और उसे प्रदेश सरकार के मंत्री जानते भी है फिर भी वे कुछ भी कर पाने में लाचार है यह तो शिक्षा के अधिकार पर डाका डालने जैसे कार्य है जिस पर प्रदेश सरकार चुप्पी साधे है आखिर बच्चों के शिक्षा से हो रही खिलवाड़ के सामने जिसे मंत्री खुले मंच से बता रहे है फिर भी सरकार बौनी क्यो है? प्रदेश के बच्चों की शिक्षा में इससे बड़ा कुठाराघात कुछ दूसरा नही हो सकता। जब एक सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यो को नही कर सकती तो फिर उनसे प्रदेश की जनता और क्या उम्मीद कर सकती है। नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इस गंभीर मसले में हमारी न्यायपालिका जिसकी जिम्मेवारी है कि प्रदेश में व्यवस्थाएं सुचारु रूप से संचालित हो क्योकि जब सरकार और उनके मंत्री जब व्यवस्थाएं नही चला पाते तो ऐसे में देश प्रदेश की जनता माननीय अदालतों की ओर आशा भारी उम्मीदों से देखती है इसलिए SUO -MOTO (स्वतः संज्ञान) के तहत संज्ञान लेकर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का कार्य करने की कृपा की जाय क्योकि सरकार और उसके मंत्री बेबस और लाचार हो चुके है।
